कटि चक्रासन योगासन का वास्तव में अर्थ है कमर के हिस्से को घुमाना। इस आसन से कमर को खिंचाव मिलने के साथ साथ कमर में लचीलापन भी आता है। इसे करने के लिए थोड़ा समय लगता है परंतु इसके अनेक लाभ हैं।
इस सरल और उपयोगी आसन का सही एवं नियमित अभ्यास ,कब्ज़ दूर करने में सहायक है।
कटी =कमर ,चक्र=घुमाना ,आसन =योगासन।
कटि चक्रासन करने की विधि | How to do kati chakrasana
1. पैरों को जोड़ कर सीधे खड़े हो जाएँ।
2. श्वास अंदर लेते हुए ,हथेलियां एक दुसरे के सामने रखते हुए,हाथों को अपने सामने,ज़मीन के समानांतर करें।
3. अपने हाथों और कन्धों की दूरी समान रखें।
4. श्वास छोड़ते हुए,कमर दाहिनी ओर घुमाएं और बाएं कंधे से पीछे की ओर देखें। मेरे अनुसार पैरों को एक ही स्थान पर रखे रहें ,इससे कमर को पूरा घुमाव प्राप्त होगा।
5. हथेलियों की दूरी समान बनायें रखिये ,क्या आपको अपनी पीठ के नीचले हिस्से में खिंचाव का अनुभव हो रहा है ?
6. श्वास लेते हुए पुनः सामने की ओर घूम जाएँ।
7. श्वास छोड़ते हुए इस आसन को बाएँ ओर घुमते हुए दोहराएँ।
8. साँस लेते हुए पुनः सामने की ओर घूम जाएँ।
9. इस आसन को कुछ समय तक दोनों तरफ करें और फिर श्वास छोड़ते हुए हाथों को नीचे लें आएँ।
आसन करने की गति धीमी और एक समान हो। शरीर को झटके से न हिलाएँ। यदि आप श्वास और गति में सामंजस्य के साथ योगासन करेंगे तो आपको इसका अत्यधिक लाभ होगा।
मेरे अनुसार:
हाथ उठाते समय श्वास ले।
बगल में आते हुए श्वास छोड़ें।
बीच मे आते हुए श्वास ले।
आसन खोलते हुए श्वास छोड़ें।
सजगता-
गति के साथ श्वास ले तालमेल और उदर एवं मेरुदण्ड की पेशियों के खिंचाव पर।
लाभ-
यह आसन कमर, पीठ और पुट्ठों का पोषण करता है प्रर्थ के कड़ेपन और शारीरिक भंगिमा की समस्याओं को दूर करने में यह आसन किया उपरोगी है। शिथिलकरण और झूलने की क्रिया से शरीर मे हल्कापन आता है दिन में किसी भी समय शारीरिक और मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है
अभ्यास टिप्पणी-
“इस आसन का अभ्यास अधिक गत्यात्मक ढंग से, सामान्य श्वसन करते हुए भुजाओं के साथ शरीर को लयपूर्ण ढंग से झुलाते हुए भिकिया जा सकता है।“
टिप्पणी-
यह भी शंक प्रक्षालन का एक आसन है।